रोज दूषित हवा में सांस लेने से बढ़ता स्ट्रोक का खतरा

रोज दूषित हवा में सांस लेने से बढ़ता स्ट्रोक का खतरा

सेहतराग टीम

दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। सांस और आंखों के रोग से संबंधित मरीजों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। डॉक्टरों की मानें तो लंबे समय तक प्रदूषित हवा के संपर्क में रहने की वजह से स्ट्रोक यानी लकवे का खतरे भी कई गुना बढ़ जाता है। दरअसल, स्ट्रोक उस स्थिति को कहते हैं जब ब्रेन के किसी हिस्से में खून की सप्लाई नहीं हो पाती। फिर चाहे वह किसी तरह के ब्लॉकेज की वजह से हो या फिर ब्रेन में रक्त धमनी के फटने की वजह से।

ब्रेन के आंतरिक दीवार को नुकसान पहुंचाते हैं प्रदूषक कण

दिल्ली के एम्स स्थिति न्यूरोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रफेसर डॉ कामेश्वर प्रसाद कहते हैं, प्रदूषित हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर बेहद बारीक होते हैं। इस तरह के बेहद बारीक और महीन पीएम कण बड़ी आसानी से शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं और वैसे लोग जिनमें पहले से बीमारी का खतरा है उन्हें स्ट्रोक होने का रिस्क कई गुना बढ़ जाता है। रिसर्च में यह बात भी सामने आयी है कि लंबे समय तक इन प्रदूषकों के संपर्क में रहने से पीएम कण शरीर के अंदर पहुंचकर ब्रेन सेल्स की आंतरिक दीवार को नुकसान पहुंचाते हैं जिससे स्ट्रोक का खतरा रहता है।

ब्रेन तक खून न पहुंच पाने की वजह से स्ट्रोक का खतरा

फॉर्टिस हॉस्पिटल नोएडा में न्यूरोलॉजी विभाग की हेड डॉ ज्योती बाला शर्मा कहती हैं, भारत में पिछले 10 सालों में स्ट्रोक के मामले में काफी बढ़ोतरी हुई है। पहले जहां ज्यादातर स्ट्रोक के मरीज 60 से 70 साल की उम्र के हुआ करते थे, वहीं अब बड़ी संख्या में 40 साल या इससे भी कम उम्र के स्ट्रोक के मरीज हमारे पास आ रहे हैं। प्रदूषित हवा को सांस के जरिए अंदर लेना धूम्रपान की ही तरह है। दोनों की वजह से ब्रेन की अंदरूनी दीवार को नुकसान पहुंचता है जिससे स्ट्रोक का खतरा रहता है।

(साभार- नवभारत टाइम्स)

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